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1992 Merath Riots


आज बहुत दिन बाद सही से ताली बजाने का मौका मिला है।

पूरे साढ़े 32 साल बाद।

मई 1987,

मेरठ का हाशिमपुरा और मलियाना।

केंद्र और प्रदेश दोनो जगह कांग्रेस का शासन।

शांतिप्रिय समुदाय ने मेरठ के हर मोहल्ले में कत्ले आम मचा रखा था।

1984, 1985 और अब 1987।

जब चाहे हिन्दुओ का गला काटा जा रहा था, दुकानों और प्रतिष्ठानों को लूटा जा रहा था। हिंदू लडकियो के साथ बलात्कार तो आम बात हो चली थी।

मई महीने का एक मनहूस दिन।

कालेज से निकली बच्चियों के स्तन काट डाले गए, बेटियों को सड़को पर निर्वस्त्र कर इज्जत लूट ली गयी। रौंगटे खड़े कर देनी वाली इन जघन्य घटनाओं को देखकर, दंगे रोकने के लिए तैनात, PAC का संयम और धैर्य जवाब दे रहा था।

अपनी बेखौफी के लिए जाने जानी वाली PAC आखिर अपराधियों की धरपकड़ करने के लिए उनके इलाके में घुस ही गयी।

वही हुआ जो होना था।

दंगाइयो ने PAC के जवानो को घेर लिया। तलवार और पत्थरों से उन पर हमला कर दिया।

और फिर 22 मई 87 वाले दिन जांबाज PAC के जवानो ने वो किया कि हर छह महीने में होने वाले दंगे आज बत्तीस साल बाद भी, फिर कभी मेरठ में नहीं हुए।

“42 दंगाइयो का फैसला ऑन द स्पॉट।”

इस वाकये से हिन्दुओ में गर्व की अनुभूति की लहर दौड़ गयी। खुशी का ठिकाना ना रहा। बताशे बाँटे गए।

PAC के उन जवानो को भगवान का दर्जा दिया गया।

हर हिंदू उन जवानो के गुणगान करता नहीं अघाता था। PAC मतलब मजहबियो से हमारी बहन बेटियो की सुरक्षा की गारंटी।

लेकिन,

जरा सोचिए।

PAC के उन जांबाज जवानो को क्या मिला?

इन्क्वारी बिठाई गयी।

जिरह चली। सब के सब सस्पेंड कर दिए गए।

नौकरी चली गयी। सस्पेंशन के दौरान उनको सिर्फ एक हजार महीने का भत्ता मिलता था, सरकार से।

उनका परिवार बर्बाद हो गया।

बच्चे भूखो मरने पर मजबूर हो गए।

और आखिर में 31 साल बाद 2018 में 17 जांबाज जवानो को कसूरवार ठहरा दिया गया। और 70-75 की उम्र में उनको ताउम्र सड़ने के लिए जेल में ठूँस दिया गया।

कहाँ गए उनको भगवान मानने वाले लोग??

कहाँ गए मेरठ के सर्राफा बाजार के सेठ, जिनके व्यापार को उन जांबाज जवानों ने जीवन दान दिया?

कहाँं गए वो हिंदू जिनकी बेटियो के भविष्य में स्तन ना कटने की उन जांबाज जवानो ने गारंटी दी ?

कोई मुझे बताए कि किसने आर्थिक या किसी भी तरह की सहायता की उन जांबाज जवानो की?

किस हिन्दुवादी संगठन ने उन जवानो की सुध ली ??

और आज मैं दावे के साथ कहता हूँ कि हैदराबाद के इन जांबाज पुलिस वालो को भी हम यूँ ही बिसरा देंगे।

कानून अपना काम करेगा ही। इन्क्वारी बैठेगी ही। सरकारे भी बदलेंगी। और अगर ये दोषी पाए गए, जिसकी उम्मीद ज्यादा है, तो इन पर भी मुकदमे चलेंगे, इनकी भी नौकरी जाएगी और हो सकता है इनको भी एक दिन जेल में बंद कर दिए जाएगा।

और हम जो आज ताली बजा रहे हैं फिर से अपने व्यापार धंधे को बढाने और अपने बच्चों का भविष्य संवारने में मशगूल हो जाएंगे।

कोई याद नहीं रखेगा।